लद्दाख की लड़ाई चरागाह व संवैधानिक अधिकार की लड़ाई

लद्दाख की लड़ाई चरागाह व संवैधानिक अधिकार बचाने की है जिसका नेतृत्व सोनम वांगचुक कर रहे हैँ!लद्दाख के कई सीमावर्ती गांवों के पशुपालक चरवाहे लंबे समय से शिकायत करते रहे हैं कि पारंपरिक चरागाहों तक चीनी सैनिक घुस आए हैं विशेषकर गलवान घाटी, पैंगोंग झील और ‘फिंगर’ इलाकों में के उन हिस्सों में जहाँ ये चरवाहे सदियों से पशुपालन करते आ रहे हैं।

पशुपालक चरवाहे अपने पशुओं के साथ इन चरागाहों में पशु चराने जाते थे वहीं भारतीय सैनिक नियमित ‘फिंगर-8’ तक पेट्रोलिंग करते थे, लेकिन अब चीनी सैनिकों की तैनाती फिंगर-4 के पास तक हो गयी है वहाँ चीनी सैनिक पैरांगोंग झील के उत्तरी किनारे पर ‘फिंगर-4′ से आगे तक पहुँचे आये हैं, जिससे भारतीय सैनिकों की होने वाली नियमित पेट्रोलिंग व चरवाहों के चरागाह मार्गों पर असर पड़ा है!

कारगिल हिल के दुर्गम पहाड़ी पर स्थानीय चरवाहों ने ही भारतीय सेना को यह महत्वपूर्ण सूचना दिया था कि पाकिस्तान के सैनिक ऊँची पहाड़ियों पर चुपचाप ठिकाने बनाकर भारतीय सीमा में घुसपैठ कर कब्जा जमा लिए हैँ उस समय पर दी गई इस चेतावनी ने सेना को तत्काल कार्रवाई के लिए तैयार किया और कारगिल युद्ध 1999 की दिशा बदल दिया!

गलवान घाटी और ‘फिंगर-8’ के इलाकों से लेकर’फिंग-4’ तक के चरागाहों में चीनी सैनिक घुसकर ढांचे खड़े कर दिए हैं जहाँ चरवाहों और चीनी सैनिकों के झड़प के वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हूए चरवाहों ने यह सूचना भारतीय सैनिक चौकियों तक पहुँचाई लेकिन जब यह विवाद सार्वजनिक हुआ, तो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दुर्भाग्यपूर्ण बयान बयान आया कि

“ना वहाँ कोई हमारी सीमा में घुसा था, ना ही कोई घुसा हुआ है, और ना ही हमारी कोई पोस्ट किसी के कब्ज़े में है।”

इस आधिकारिक बयान ने न केवल स्थानीय चरवाहों के चरागाहों के दावों को अनदेखा कर दिया बल्कि भारतीय सेना के द्वारा ‘फिंगर-8’ तक वर्षो से हो रही पेट्रोलिंग पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे सीमावर्ती क्षेत्रों में चीनी चौकियों की स्थिति और उनका दावा मजबूत हो गया!

आज वही लद्दाख की जनता अपने चरागाहों की ज़मीन और संवैधानिक अधिकारों की लड़ाई लड़ रहा है इस आंदोलन का चेहरा बने हैं सोनम वांगचुक वही व्यक्ति हैं जिन्होंने लद्दाख के बच्चों की शिक्षा बदलने के लिए SECMOL जैसी संस्था बनाई, विज्ञान को हिमालय की ज़रूरतों से जोड़ा, आइस-स्तूप और सेना के लिए सौर-टेंट जैसी तकनीक विकसित किया सीमावर्ती गांवों के चरवाहों की आवाज़ बुलंद किया लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा, पर्यावरण और चरागाहों की रक्षा तथा स्थानीय नौजवानों के अधिकारों की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन की अगुवाई करने के कारण सोनम वांगचुक को राज्यविरोधी गतिविधियों (NSA) जैसी गंभीर धाराओं में गिरफ़्तार करके जेल में डाल दिया यह भारत का दुर्भाग्य ही है!

यह संघर्ष केवल लद्दाख के पशुपालक चरवाहों का नहीं बल्कि पूरे देश के नागरिकों के अधिकारों और सीमाओं की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है इतिहास गवाह है चाहे कारगिल के चरवाहे हों या गलवान घाटी के चरवाहे इन्होने देश के सीमाओं पर होने वाले अतिक्रमण से सेना को सतर्क कर खतरों से अगाह किया है चरवाहों ने न सिर्फ़ अपनी ज़मीन बल्कि देश की सीमा की भी रक्षा अपने प्राण देकर कर रहे हैं आज इन्ही पशुपालक चरवाहों का नेतृत्व करने वाले सोनम वांगचुक को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया है!

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